नाम पर क्यों तिलमिला जाता है चीन दलाई लामा के
नई दिल्ली। चीन ने फिर अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है। चीन ने भारतीय पर्वतारोहियों के एक दल द्वारा अरुणाचल प्रदेश में एक अनाम चोटी का नाम छठे दलाई लामा के नाम पर रखने पर आपत्ति जताई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने मीडिया से कहा कि अरुणाचल प्रदेश को चीन के क्षेत्र में स्थापित करना अवैध और अमान्य है।
अरुणाचल प्रदेश की यह चोटी, जिसे छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो के नाम पर रखा गया है, उसका नामकरण भारतीय रक्षा मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय पर्वतारोहण और साहसिक खेल संस्थान की टीम ने किया। इस टीम ने मोन तवांग क्षेत्र के गोरीचेन मासिफ में 20,942 फीट ऊंची चोटी पर चढ़ाई की। त्सांगयांग ग्यात्सो का जन्म 1682 में मोन तवांग क्षेत्र में हुआ था और उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रति अपना योगदान दिया।
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उनके नाम पर चोटी का नाम रखने का उद्देश्य उनके योगदान को मान्यता देना है, खासकर मोनपा समुदाय के प्रति उनकी सेवा के लिए। जियान ने कहा कि उन्हें चोटी का नाम रखने के बारे में जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्होंने यह साफ किया कि जंगनान क्षेत्र चीन का हिस्सा है। चीन लगातार अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है और 2017 से वहां स्थानों का नाम बदलने का प्रयास कर रहा है।
यह विवाद केवल एक नामकरण से शुरू हुआ है, लेकिन यह चीन और भारत के बीच चल रहे क्षेत्रीय विवाद का एक और उदाहरण है। भारत ने हमेशा अरुणाचल प्रदेश को अपना अभिन्न हिस्सा माना है, जबकि चीन अपने दावों को बनाए रखने की कोशिश करता है।