आंखें हो रही हैं कमजोर हर तीन में से एक बच्चे की
नई दिल्ली। हर तीन में से एक बच्चे की आंखें कमजोर हो रही हैं, और 2050 तक यह संख्या बढ़कर 50 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। हाल ही में ग्लोबल स्टडी में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। जानकारी के अनुसार, एशिया में यह समस्या सबसे गंभीर है, जहां 85 प्रतिशत बच्चे दृष्टि संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं। जापान में 73प्रतिशत, जबकि दक्षिण कोरिया, चीन और रूस में लगभग 40 प्रतिशत बच्चे नजर की समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
चिंताजनक बात यह है कि यह सभी बच्चे 10 साल या उससे कम उम्र के हैं। स्टडी में यह भी पाया गया है कि कोविड-19 महामारी के बाद बच्चों की दृष्टि में तेजी से गिरावट आई है। विशेष रूप से 2 साल से कम उम्र में स्कूल जाने वाले बच्चों पर इसका प्रभाव अधिक देखा गया है। भारत में बच्चे आमतौर पर 2.5 साल की उम्र में प्ले स्कूल जाते हैं, जबकि सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों में यह आयु 2 साल की है।
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अफ्रीकी देशों में बच्चों की दृष्टि अपेक्षाकृत बेहतर है, जहां वे 6-8 साल की उम्र में स्कूल जाते हैं। इसके अलावा, अध्ययन से यह भी पता चला है कि लड़कियों में यह समस्या लड़कों की तुलना में अधिक होती है, विशेषकर उन लड़कियों में जो घर में अधिक समय बिताती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह समस्या आनुवांशिक भी हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्क्रीन से दूरी बनाए रखने और आंखों की नियमित देखभाल से बच्चों की दृष्टि को बचाया जा सकता है।
किताबें पढ़ने और मोबाइल या टीवी स्क्रीन देखने की आदत बच्चों की आंखों की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा रही है। इसके विपरीत, पराग्वे और युगांडा जैसे देशों में केवल 1प्रतिशत बच्चों को दृष्टि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।