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आनंद विवाह का चलन इंडोनेशिया में प्रतिबंध के बावजूद जारी है

जकार्ता। मुस्लिम आबादी बहुल देश इंडोनेशिया में प्रतिबंध के बावजूद प्लेजर मैरिज या आनंद विवाह की प्रथा खूब फलफूल रही है। यह प्रथा दक्षिण-पूर्व एशिया में तेजी से बढ़ रही है और इंडोनेशिया में यह एक बड़ी इंडस्ट्री बन चुकी है। इस प्रथा में पर्यटकों को अस्थायी रूप से पत्नियां दी जाती हैं। इसे लेकर चिंता बढ़ रही है क्योंकि कई महिलाएं जीविका के लिए इस प्रथा का हिस्सा बनती हैं, जो न केवल समाज के लिए हानिकारक है, बल्कि महिलाओं के शोषण का एक साधन भी है।

प्लेजर मैरिज इंडोनेशिया में विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में आम है, जहां परिवार आर्थिक तंगी के चलते अपनी बेटियों पर इस प्रथा का हिस्सा बनने का दबाव डालते हैं। इसके तहत पर्यटकों और महिलाओं के बीच अस्थायी विवाह करवाए जाते हैं, जिसमें दोनों पक्ष कुछ समय के लिए एक-दूसरे के साथ रहते हैं और इसके बदले महिला के परिवार को पैसे मिलते हैं। यह प्रथा भले ही आर्थिक मदद के रूप में देखी जाती हो, लेकिन इसके गंभीर सामाजिक और नैतिक परिणाम हैं।

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इंडोनेशिया में इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन कोई सख्त कानून न होने की वजह से यह अभी भी जारी है। प्लेजर मैरिज से जुड़ी कई कहानियां सामने आई हैं जो इस प्रथा की भयावहता को उजागर करती हैं। उदाहरण के तौर पर, एक महिला, कहाया, जो अब तक 15 से अधिक बार इस प्रथा का हिस्सा बन चुकी है, ने अपनी दर्दनाक कहानी साझा की। उसकी पहली शादी 13 साल की उम्र में हुई थी, और जब वह 17 साल की हुई, तो उसे एक 50 वर्षीय सऊदी अरब के पर्यटक के साथ शादी करने के लिए मजबूर किया गया। इसके बदले में उसे केवल 850 डॉलर मिले।

कहाया ने आगे बताया कि कुछ शादियों में उसका अनुभव बेहद कठिन रहा। एक सऊदी अरब के व्यक्ति ने उसे भारी रकम का वादा किया, लेकिन बाद में उसका व्यवहार अमानवीय था और उसने पैसे भी नहीं दिए। इस प्रकार की घटनाएं इस प्रथा के खतरनाक और शोषणकारी पहलुओं को सामने लाती हैं। प्लेजर मैरिज न केवल महिलाओं के शारीरिक और मानसिक शोषण का साधन है, बल्कि यह समाज में लैंगिक भेदभाव और अन्याय को भी बढ़ावा देती है।

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