बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई के कारण कनाडा में घरों का संकट बढ़ गया है। बता दें कि यहां अप्रवासियों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है जो कनाडाईयों के लिए नई समस्यायें पैदा कर रहे हैं। एनवायरोनिक्स इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि कनाडा में अप्रवासन के प्रति जनता का समर्थन तेजी से कम हो रहा है। एशियन पैसिफिक पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, एनवायरोनिक्स इंस्टीट्यूट के सर्वे में स्पष्ट हुआ कि 58 प्रतिशत कनाडाई लोग मानते हैं कि उनकी सरकार बहुत अधिक अप्रवासियों को देश में प्रवेश दे रही है। यह संख्या 2023 के बाद से 14 अंकों की वृद्धि दर्शाती है।
सर्वेक्षण का उद्देश्य कनाडाई लोगों की राय को समझना है। सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, कनाडाई लोग मानते हैं कि कई शरणार्थी जो अपने को शरणार्थी कहते हैं असल में शरणार्थी नहीं हैं। इसके साथ ही बहुत से अप्रवासी कनाडाई मूल्यों को अपनाने में विफल रहे हैं। अध्ययन में यह उल्लेखित किया गया है कि 1998 के बाद से कनाडा में बहुत अधिक आप्रवासन हो रहा है, और यह पहली बार है जब कनाडाई लोगों का स्पष्ट बहुमत इस बात पर सहमत है। यह प्रवृत्ति पूरी आबादी में देखने को मिली है, लेकिन प्रेयरी प्रांतों में यह सबसे अधिक है।
कंजर्वेटिव पार्टी के समर्थक अधिक चिंतित कंजर्वेटिव पार्टी के समर्थक इस मामले में अधिक चिंतित हैं, जबकि लिबरल पार्टी के 45 प्रतिशत और एनडीपी के 36 प्रतिशत समर्थक भी इसे गंभीर मुद्दा मानते हैं। कनाडाई लोगों की चिंता इस बात को लेकर है कि आवास की कमी और सामर्थ्य के चलते नए अप्रवासियों को समायोजित करने में मुश्किलें आ सकती हैं। हालांकि कनाडाई समाज को हमेशा से विदेशियों का स्वागत करने वाला माना जाता रहा है, मौजूदा हालात इस रुख को बदलने की दिशा में संकेत दे रहे हैं। देश में बढ़ती समस्याओं के कारण जन समर्थन में कमी आई है, जो कि अप्रवासन के भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।