प्रसूति वार्ड में पुरुषों की अंगड़ाइयों से शर्मसार हो रहीं प्रसूताएं…नो एंट्री के बाद भी 24 घंटे जमावड़ा..

जिला अस्पताल के एमसीएच विंग में शर्मनाक हालात: प्रसूति वार्ड में पुरुषों की भीड़ पर अफसर कई बार नाराजगी जता चुके,पर हालात बेकाबू..
प्रसूति वार्ड में पुरुषों की अंगड़ाइयों से शर्मसार हो रहीं प्रसूताएं…नो एंट्री के बाद भी 24 घंटे जमावड़ा..
सीधी:- जिला अस्पताल के एमसीएच विंग
की अजीब विडंबना है। वार्ड का नामकरण महिला एवं प्रसूति रखा गया है, जबकि यहां पुरुषों का जमावड़ा रहता है। स्थिति तब अधिक बदतर हो जाती है,जब वार्ड के बेड पर मर्द अंगड़ाई लेते हुए नजर आते हैं। प्रसूति महिलाओं को शर्मसार होना पड़ता है। हद की बात यह है कि जब स्टाफ या किसी अन्य प्रसूता के परिजन आपत्ति जताते हैं, तो दूसरों को यह नागवार गुजरता है और हल्ला-हंगामा पर उतर आते हैं। दबी जुबान से लोग प्रतिरोध दर्ज कराते हैं,लेकिन अस्पताल प्रबंधन चुप्पी साधे रहता है। हालांकि वार्ड में सुरक्षा को लेकर सिक्योरिटी गार्ड तैनात रहते हैं, लेकिन पुरुषों को अंदर जाने से ये भी रोक नहीं पाते हैं। महिला गार्ड का काम सिर्फ कुर्सी संभालना दिखता है,ये कभी वार्ड में घूमकर पुरुषों को बाहर निकालने की कोशिश नहीं करती हैं और न ही प्रवेश पर रोक-टोक करती हैं। पुरुषों की धमाचौकड़ी के कारण प्रसूताएं
असुरक्षित महसूस करती हैं।
नियम पालन कराने में बरती जा रही कोताही:-
पूर्व में महिला एवं प्रसूति वार्ड के मुख्य द्वार पर पुरुषों का प्रवेश निषेध संबंधी बोर्ड टंगा रहता था, नई व्यवस्था में यह सब नदारद है। एक मरीज के साथ ज्यादा से ज्यादा दो अटेंडर को देखभाल करने की अनुमति है। फिलहाल पूरा कुनबा ही अस्पताल में डेरा डाले रहता है। खामियाजा अन्य महिलाएं भुगतती हैं। देखा जाएं, तो इस समय अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही चरम पर है। प्रबंधन नियम कानून का पालन कराने में पूरी तरह विफल साबित हुआ है। गार्ड की उपस्थिति में ही प्रसूति वार्ड में पुरुषों का जमावड़ा रहता है,लेकिन गार्ड कोई रोक टोक नहीं करते हैं।
शर्म तो हमें भी आती है, पर मजबूरी है
स्टाफ का कहना है कि वार्ड में 24 घंटे पुरुषों का जमावड़ा बना रहता है। शर्म तो हमें भी आती है, पर मजबूरी है। मना करने पर विवाद शुरू कर देते हैं। प्रसूति महिलाओं से बोलते हैं कि परिवार का सिर्फ एक व्यक्ति साथ में रह सकता है, लेकिन रिश्तेदारों की हमेशा आवाजाही बनी रहती है। ऐसा कोई महीना नहीं गुजरता है, जब पुरुषों को लेकर विवाद न होता हो। सबसे ज्यादा दिक्कत ग्रामीण क्षेत्रों में आने वाले पुरुषों से होती है। शहर का व्यक्ति समझदार होता है, वह इशारे की भाषा भी समझ जाता है, जबकि ग्रामीण लोग फालतू की बहस पर अमादा हो जाते हैं।
अफसरों को भी गुजरा नागवार, हिदायत बेअसर
जिला अस्पताल के एमसीएच विंग
के प्रसूति वार्ड में पुरुषों की भीड़ देखकर कई बार अफसर भी नाराजगी जता चुके हैं। यहां तक कि कायाकल्प टीम ने भी प्रसूति वार्ड में बेवजह एंट्री को लेकर काफी सख्ती दिखाई थी,लेकिन अधिकारियों की हिदायतें भी बेअसर साबित होती आई हैं।
पुरुषों को सख्ती से रोकना चाहिए
शहर की प्रसूति महिला सरोज का कहना है कि प्रसूति वार्ड में महिलाएं कम, पुरुष अधिक नजर आते हैं। उन्हें सख्ती से अंदर प्रवेश करने से रोकना चाहिए। मरीज के पुरुष अटेंडर के साथ उनके दोस्त पलंगों पर बैठे रहते हैं।वही पार्वती बताती हैं कि पुरुषों के कारण हम लोगों को शर्मसार होना पड़ता है।गीताबाई का कहना है कि महिला गार्ड भी पुरुषों का रोकने की कोशिश नहीं करती हैं।