सीधी

महिला बाल विकास : अधिकारी खुद के विकास को लेकर ज्यादा केंद्रित…

महिला बाल विकास : अधिकारी खुद के विकास को लेकर ज्यादा केंद्रित…

कागजों का पेट भरकर चलाया जा रहा है काम…

सीधी: जिले भर में महिला बाल विकास की संचालित योजनाओं के अंतर्गत जिले की महिलाओं और आंगनवाड़ी में आने वाले बच्चों को लेकर शासन की भारी भरकम संचालित योजनाओं की खानापूर्ति सिर्फ कागजों तक ही सिमटी हुई दिखाई देती है। विभाग के अधिकारी अपने स्व विकास को लेकर ज्यादा केंद्रित रहते हैं, जिले में आंगनबाड़ी केंद्र कब खुलते हैं ? कब नहीं खुलते हैं ? वहां पोषण आहार सहित अन्य जो भी योजनाएं संचालित होती हैं इसका लाभ पात्र लोगों को प्राप्त होता है या नहीं ? इन सभी चीजों को लेकर विभाग के आला अफसर अपनी आंखें मूंदे सिर्फ अपनी स्वार्थ पूर्ति तक ही सीमित रहते हैं।

 

मनमानी को रोंकने अधिकारी नहीं दिखा रहें दिलचस्पी

 

महिला बाल विकास विभाग सीधी के मार्फत संचालित की जा रही शासन की जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर ग्रहण लगा हुआ है। विभागीय अधिकारी कागजों में ही योजनाओं के प्रगति के आंकड़े दर्ज कर वाहवाही लूटने में जुटे हुए हैं। विभाग के मार्फत संचालित होने वाली शासन की आधा दर्जन से ज्यादा योजनाओं की प्रगति धरातल पर कुछ और ही बयां कर रही हैं।
समेकित बाल संरक्षण योजना की हालत और भी दयनीय है। समेकित बाल संरक्षण योजना कठिन परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों के समग्र कल्याण एवं पुनर्वास हेतु संचालित है।
उक्त योजना के तहत 18 वर्ष से कम आयु के विधि विरोधी कार्यों में संलिप्त बालकों तथा देख-रेख और संरक्षण के लिए जरूरतमंद बालकों को संरक्षण, भरण-पोषण, शिक्षण, प्रशिक्षण तथा व्यवसायिक एवं पारिवारिक पुनर्वास मुख्य है। यह योजना सीधी जिले में कागजों में ही सफर कर रही है। वहीं मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना की स्थिति भी इसी तरह है।

 

जिला कार्यक्रम अधिकारी अपने कार्यक्रम में हैं रहते हैं व्यस्त

 

विभागीय सूत्रों के अनुसार जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर आने वाले बजट को आंकडेबाजी में ही फंसाकर खर्च करने में जुटे हुए हैं। ऐसा आरोप रहा है कि जिला कार्यक्रम अधिकारी विभाग की संचालित होने वाली योजनाओं की गहन मॉनिटरिंग के बजाय विभाग को जितना वक्त देना चाहिए ना उतना वक्त देते और ना ही गंभीर तरीके से योजनाओं के संचालन को लेकर ध्यान देते हैं।
मुख्यमंत्री महिला सशक्तीकरण योजना के तहत हिंसा से पीडित महिलाओं को पारिवारिक सहायता नहीं मिलने पर उन्हें विशेष सहयोग की आवश्यकता होती है। इसका प्रचार-प्रसार करके पीडित महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा लाभान्वित करने के कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना के तहत काम करने वाली महिलाओं की मजदूरी के नुकसान की भरपाई करने के लिए मुआवजा लेना और उनके उचित आराम तथा पोषण को सुनिश्चित करना है। गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करानें वाली माताओं के स्वास्थ्य में सुधार और नगदी प्रोत्साहन के माध्यम से अधीन पोषण के प्रभाव को कम करना है। वहीं भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड अनुसार राज्य सरकार के मार्फत चयनित जिलों में किशोरी बालिका योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। विभागीय अधिकारी शासन की दर्जन भर से ज्यादा योजनाओं का प्रचार-प्रसार कर संबंधितों को लाभान्वित करने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं। यह दीगर बात है कि बजट का फर्जी खर्च दिखाने के लिए आंकड़े एकत्र करके उनको दर्ज करने का खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है।

 

महिला बाल विकास की योजनाओं पर लगा ग्रहण

 

सीधी जिले की हकीकत यह है कि शहरी एवं ग्रामीण अंचलों में फील्ड पर उतरकर कोई भी अधिकारी यह जानने की जरूरत नहीं समझ रहा है कि महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाओं से कितनी महिलाएं, किशोरियां, धात्री माताएं, बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। उक्त विभाग की पहचान केवल आंगनवाड़ी केंद्र संचालित करने वाले की बनकर रह गई है। विभाग के माध्यम से जो भी बड़ी योजनाएं संचालित हो रही हैं। उनको काफी गोपनीय रखा जाता है। ऐसी योजनाओं का लाभ पाने के लिए विभागीय अमले की मदद की जरूरत पड़ती है। ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनवाड़ी केंद्र ही ऐसा माध्यम है जिससे योजनाओं का लाभ संबंधितों को मिल सकता है। आंगनवाड़ी केंद्रों में अधिकांश ऐसी कार्यकर्ताएं पदस्थ हैं जिनकी दिलचस्पी योजनाओं का लाभ अपने क्षेत्र के पात्र महिलाओं, बच्चियों एवं बच्चों तक पहुंचाने की नहीं है।

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