सीधी

रक्त के आभाव में दलालों के हांथो लुटने को मजबूर हैं मरीज।

रक्त के आभाव में दलालों के हांथो लुटने को मजबूर हैं मरीज।
ब्लड डोनेशन कैंप का लंबे समय से नहीं हुआ आयोजन
सीधी 
जिला अस्पताल में हर दिन बड़ी संख्या में मरीज भर्ती होते हैं। इनमें से अधिकांश आसपास के ग्रामीण इलाकों के लोग होते हैं। जब इन मरीज के लिए रक्त की जरूरत होती है तो कई बार इनके पास रक्तदाता नहीं होते हैं।
यहीं से दलाल अपना काम शुरू करते हैं और ऐसे मरीजों को रक्तदाता उपलब्ध कराने की सौदेबाजी करते हैं। इनके रक्तदाता अस्पताल के आसपास ही घूमते हैं और सौदा तय होते ही रक्तदान के लिए आ जाते हैं। दलाल रक्तदाता और मरीज के स्वजन की सीधी डील करा देता है। रक्त के बदले में मरीज के स्वजन से 6 से सात हजार रुपये एक यूनिट के लिए जाते हैं। मरीज की जान संकट में होती है इसलिए मजबूर ग्रामीण रुपयों की व्यवस्था कर अपने स्वजन की जान बचाते हैं।
छः हजार रुपये में मिलता है एक यूनिट ब्लड
लंबे समय बाद जिला अस्पताल में अब फिर से खून की खरीद-फरोख्त करने वाले दलाल सक्रिय हो गए हैं। ऑपरेशन थियेटर में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे मरीज के स्वजनों को ये रुपयों के बदले में खून दिलाते हैं। बदले में एक यूनिट खून के लिए 6 से 7 हजार रुपये ऐंठ लेते हैं।
हैरानी की बात है कि जिले के सबसे बड़े अस्पताल ऐसा घिनौना काम चल रहा है और जिम्मेदार अब तक इससे अंजान बने हुए हैं। इस मामले में एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ है।
वीडियो में ब्लड बैंक के पास मौजूद एक व्यक्ति ब्लड देने के बाद पैसे लेते हुए साफ दिख रहा है और यह भी कह रहा है कि अगर जरूरत होगी तो बताईयेगा।
गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा जरूरत
खून की सबसे ज्यादा जरूरत उन गर्भवती महिलाओं को होती हैं जिनके शरीर में प्रसव प्रक्रिया के दौरान खून की कमी हो जाती हैं। प्रसूता को तत्काल खून चढ़ाए जाने की आवश्यकता होती है। जैसे ही खून की मांग आती है वैसे ही तत्काल गिरोह के लोग सक्रिय हो जाते हैं और खुद व खुद आगे बढ़कर प्रसूता के स्वजनों से संपर्क करके उन्हें यह भरोसा दिला देते हैं कि तुम्हारे मरीज की जान बच जाएगी। जच्चा-बच्चा की जान बचाने स्वजन भी खून खरीदने तैयार हो जाते हैं।
पांच ग्रुप्स के नहीं हैं ब्लड 
जिला चिकित्सालय स्थित ब्लड बैंक की स्थिति इन दिनों काफी दयनीय है। स्टाक पंजी के अनुसार महज 9 यूनिट ब्लड बैंक में उपलब्ध है। खास बात यह है कि सबसे कामन ग्रुप कहा जाने वाला ओ पाजिटिव व निगेटिव दोनो ग्रुप का एक भी यूनिट ब्लड उपलब्ध नहीं है। जबकि बी पाजिटिव व ए पाजिटिव भी ब्लड बैंक में मौके पर नहीं पाया गया। इसी तरह एबी निगेटिव भी ब्लड में उपलब्ध नहीं है ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर कोई बड़ी घटना-दुर्घटना घटित हो गई तो ब्लड के अभाव में पीडितों की जान जा सकती है इस ओर जिम्मेदार प्रबंधन तनिक ध्यान नही दे रहा है जिसके चलते यह स्थिति बनी हुई है।
भारत विकास की यात्रा में व्यस्त हैं अधिकारी
जिले में भारत विकास यात्रा के नाम पर समूचा प्रशासनिक तंत्र व्यस्त है। स्थिति यह है कि मूलभूत सुविधाओं की ओर भी जिम्मेदारों की नजर नहीं जा रही है। एक समय था कि जिले का ब्लड बैंक सैकड़ों यूनिट से भरा रहता था अब स्थिति ये है कि एक दर्जन की संख्या भी नहीं पहुंच पा रहा है। खास बात यह है कि तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सिंह के द्वारा ब्लड की उपलब्धता को लेकर विशेष तौर पर जागरूकता अभियान चलाया जाता रहा है। यही नहीं पुलिस स्टाफ के लोगों द्वारा भी समय-समय पर ब्लड डोनेट किया जाता रहा है इसके साथ-साथ अल्ट्राटेक कम्पनी को टारगेेट दिया जाता था। लेकिन इन बिंदुओं पर वर्तमान प्रशासन द्वारा नजर नही दौड़ाई जा रही जिसके चलते यह स्थिति बनी हुई है।
इनका कहना है
मेरी जानकारी में नहीं है कि किसके द्वारा ब्लड बिक्री के नाम पर पैसे का लेनदेन किया जा रहा है। अगर ऐसा कुछ है तो पीडित को मेरे समक्ष भेज दें। रही बात ब्लड बैंक में ब्लड उपलब्धता की तो लंबें समय से शिविरों का आयोजन नहीं हुआ है लोगों को आवश्यकता तो रहती है लेकिन कोई देना नहीं चाहता। जिसके चलते ब्लड का अभाव बना हुआ है।
डॉ. दीपारानी इशरानी
सिविल सर्जन 
जिला अस्पताल, सीधी

Author

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page