अब भारत में ही बनेगा एस-400, कुछ रुस देगा चीन और पाकिस्तान की बढ़ेगी धड़कन

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भारत और रूस के बीच अतिरिक्त पांच सिस्टम की कीमत पर सहमति बन चुकी है। दोनों देश के बीच अब इस पर बातचीत चल रही है कि इनमें से तीन सिस्टम सीधे खरीदे जाएंगे और बाकी के दो एस-400 टेक्नॉलजी ट्रांसफर के तहत निर्मित होंगे।
यह सौदा सरकार-से-सरकार के बीच होगा और रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल सुविधाएं भारतीय प्राइवेट सेक्टर की मदद से स्थापित की जाएंगी। खबरों के मुताबिक वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने रूस की पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एसयू-57 को लेने पर विचार की बात कही थी। हालांकि सरकार ने अब तक न एसयू-57 और न अमेरिकी एफ-35 लड़ाकू विमान को लेकर कोई निर्णय लिया है।
बता दें कि ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान एस-400 ट्रायम्फ सिस्टम ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी जबरदस्त क्षमता साबित की थी। पाकिस्तान ने 7 मई के हमले के बाद आदमपुर और भुज एयरबेस पर तैनात एस-400 को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाया।
इसके बाद 10 मई तक पाकिस्तान को अपने सभी एयर एसेट्स को भारतीय सीमा से 300 किमी दूर ले जाना पड़ा और मुश्किल से ही कोई विमान उड़ान भर सका। एस-400 की लंबी दूरी की मिसाइलों ने पाकिस्तान के एक विमान को पंजाब में 314 किमी की दूरी पर मार गिराया था और उत्तर में एफ-16 व जेएफ-17 लड़ाकू विमानों को भी ढेर किया था।
भारत ने रूस के साथ 2018 में ही पांच एस-400 सिस्टम के लिए 5.43 अरब डॉलर की डील की थी। इसके तहत अगले साल के अंत तक दो एस-400 की सप्लाई होनी है। इसके साथ ही अब पांच और एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने पर बातचीत चल रही है।
रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी इसके लेकर इस हफ्ते रूसी अधिकारियों से मुलाकात करने वाले हैं। इस मुलाकात में इस रूसी रक्षा कवच को मिलकर बनाने पर चर्चा किया जाएगा।
माना जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 5 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होने वाली वार्षिक शिखर वार्ता से पहले इस सौदे को हरी झंडी मिल सकती है। उधर खबर है कि भारत रूस से 200 किमी से अधिक रेंज वाली एयर-टू-एयर मिसाइल आरवीवी-बीडी (आर-37) भी हासिल करना चाहता है, जिससे एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों की मारक क्षमता बढ़ाई जा सके।













