सीधी
वर्षों से बदस्तूर जारी है जिले भर में फर्जी अंकसूची का व्यापार,हाई स्कूल से लेकर पीएचडी तक की मिल जाती है सभी अंकसूची,10 हजार से लेकर 50 हजार तक की होती है वसूली।
वर्षों से बदस्तूर जारी है जिले भर में फर्जी अंकसूची का व्यापार,हाई स्कूल से लेकर पीएचडी तक की मिल जाती है सभी अंकसूची,10 हजार से लेकर 50 हजार तक की होती है वसूली।
सीधी : जिले में शिक्षा माफिया की जड़ें काफी गहरी हो चुकी हैं। कई सालों से शिक्षा माफिया से संबद्ध लोग अलग-अलग स्थानों में फर्जी अंकसूची दिलाने का काम पूरी मुस्तैदी के साथ कर रहे हैं। शिक्षा माफिया से संबद्ध दलालों द्वारा अपने बाहरी आकाओं से संपर्क जमाकर यह फर्जीवाड़ा बेखौफ होकर कर रहे हैं और भोलेभाले युवाओं से भारी-भरकम रकम भी ऐंठ रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस तरह का फर्जीवाड़ा करने के लिए सीधी जिले में अलग-अलग स्थानों में दलाल काम कर रहे हैं। इनके द्वारा फर्जी अंकसूची की व्यवस्था करने वाले अपने बाहरी आकाओं से संपर्क बनाकर यह गोरखधंधा किया जा रहा है। अभी तक संस्कृत बोर्ड की हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्ड्री परीक्षा दिलाने के नाम पर ही कुछ दलाल अपनी सक्रियता सीधी जिले में बनाए हुए थे। इनके द्वारा पढ़ाई में कमजोर छात्र-छात्राओं की तलाश की जाती है। फिर उनके अभिभावकों से सौदेबाजी कर भारी-भरकम रकम ऐंठ ली जाती है। संस्कृत बोर्ड की परीक्षाओं के कई केंद्र सीधी जिले में ही संचालित हो रहे हैं। जिनमें नकल की पूरी छूट दलालों के माध्यम से मिलती है और कमजोर विद्यार्थी भी अच्छे अंक में उत्तीर्ण हो जाता है। मध्य प्रदेश संस्कृत बोर्ड की मान्यता होने के कारण इसमें शामिल होने वाले छात्र-छात्राओं की डिग्री वैध होती है। लेकिन कुछ दलाल ज्यादा कमाई के चक्कर में मध्य प्रदेश के बाहर के फर्जी युनिवर्सिटियों की अंकसूची की व्यवस्था करानें में भी पूरी मुस्तैदी के साथ लगे हुए हैं। ऐसे दलालों द्वारा स्नातक, स्नातकोत्तर, डीएड, बीएड एवं पीएचडी की अंकसूची की व्यवस्था भी प्रदेश के बाहर के अन्य राज्यों की फर्जी युनिवर्सिटी के माध्यम से कराई जा रही है।
दक्षिण भारत के राज्यों से संबद्धता दर्शाने वाली कॉलेज की डिग्री के साथ ही हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्ड्री की अंकसूची की व्यवस्था भी बनाई जा रही है। दलालों द्वारा अपना नेटवर्क काफी गोपनीय तरीके से संचालित किया जा रहा है। उनके इस फर्जीवाडे में कई सरकारी शिक्षक भी एजेंट का कार्य कर रहे हैं। जिनको कुछ रकम कमीशन के रूप में दी जाती है। इसी वजह से पूरे सुनियोजित तरीके से सीधी जिले की ग्रामीण अंचलों मेंं इस तरह का गोरखधंधा काफी तेजी के साथ फल-फूल रहा है।
फर्जी अंकसूची पाने वाले छात्र-छात्राओं को अन्य स्थानों में प्रवेश लेने या फिर नौकरी के दौरान अंकसूची प्रस्तुत करने वाले फर्जीवाड़ा की जानकारी मिलती है उस दौरान संबंधित दलाल अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं और तरह-तरह की बहानेबाजी करने लगते हैंं।
खड्डी अंचल में सक्रिय दलाल
जिले के खड्डी अंचल में फर्जी अंकसूची तैयार करानें को लेकर एक दलाल काफी सक्रिय हैं। बताया गया है कि बुद्धिसेन नाम का एक दलाल हाई स्कूल से लेकर कॉलेज तक की डिग्रियों की व्यवस्था भारी-भरकम रकम लेकर करने से काफी मशहूर है। उसके द्वारा मध्य प्रदेश के बाहर के राज्यों की बोर्ड परीक्षाओं की अंकसूची की व्यवस्था बिना परीक्षा दिए ही बनाई जाती है। छात्र-छात्राओं को मुंह मांगी रकम देनी पड़ती है और उस महीने के अंदर उन्हें हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्ड्री की अंकसूची अन्य प्रांतों की मिल जाती है। इसके अलावा कॉलेज से संबद्ध विभिन्न डिग्रियों की व्यवस्था भी उसके द्वारा बिना परीक्षा दिए ही करा दी जाती है।
सूत्रों का कहना है कि उसके द्वारा सीधी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के भोलेभाले ऐसे छात्र-छात्राओं को अपने जाल में फंसाया जाता है जो कि पढ़ाई में काफी कमजोर होते हैं। उसके इस कार्य में कुछ शासकीय शिक्षक भी दलाल का कार्य कर रहे हैं। संबंधित व्यक्ति द्वारा फर्जी अंकसूची का गोरखधंधा करने के साथ ही शासकीय स्कूल में अतिथि शिक्षक भी हैं।
गांवों में जमे हैं नटवरलाल
सीधी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में संस्कृत बोर्ड की आड़ में कई दलाल फर्जीवाड़ा करने में लिप्त हैं। गांवों में फैले ऐसे दलालों द्वारा कमीशन के आधार पर पढऩे में कमजोर छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से अपना संपर्क स्थापित किया जाता है। बाद में हजारों की फीस ऐंठने के बाद बिना परीक्षा दिए ही अंकसूची की व्यवस्था कुछ महीने के अंदर ही करा दी जाती है। इस तरह की शिकायतें सीधी जिले में काफी बढऩे के बाद भी न तो शिक्षा विभाग गंभीर है और न ही पुलिस द्वारा ऐसे दलालों की पहचान कर कार्रवाई की जाती है। यह अवश्य है कि हजारों रुपए देने के बाद जब कभी संबंधित युवाओं को जानकारी मिलती है कि उनके पास जो अंकसूची मौजूद है वह पूरी तरह से फर्जी है तब उनके पैरों तले से जमीन खिसक जाती है। कुछ लोग इस भय से पुलिस के पास नहीं जा पाते कि कहीं फर्जी अंकसूची की व्यवस्था करानें के मामले में वह भी पुलिस केस में न फंस जाएं। इसी का फायदा शिक्षा माफिया से संबद्ध दलालों द्वारा सालों से सीधी जिले में उठाया जा रहा है। जिस पर प्रशासन को गंभीरता से कार्रवाई करने की जरूरत है।