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के.ई.एन. राघवन – देश में बढ़ रहा सिंथेटिक दूध का जहरीला कारोबार

अहिल्या माता गोशाला की मेजबानी में (R.S.S.) के गो सेवा प्रशिक्षण प्रमुख के.ई.एन. राघवन ने दी महत्वपूर्ण जानकारियां

इन्दौर, देश में गो दुग्ध की बढ़ती मांग के कारण अब कृत्रिम या सिंथेटिक दूध का कारोबार फल-फूल रहा है। पहले उत्तर भारत के राज्यों और शहरों में ही इस नकली दूध की बिक्री हो रही थी, लेकिन अब दक्षिण भारत के कर्नाटक एवं आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों में भी सिंथेटिक दूध खपाया जाने लगा है।

शुद्ध और सिंथेटिक दूध के दाम में भारी अंतर होने के कारण भी यह जानलेवा कारोबार तेजी से पूरे देश में फल-फूल रहा है। सिंथेटिक दूध के कारण अनेक गंभीर बीमारियां भी हो रही हैं। दूध के नाम पर जहर की बिक्री की इस प्रवृत्ति से आम लोगों को सजग रहने की जरूरत है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अ.भा. गो सेवा प्रशिक्षण प्रमुख के.ई.एन. राघवन ने आज अहिल्या माता गोशाला, जीव दया मंडल, संस्था गो अमृत एवं जयश्री कामधेनु के संयुक्त तत्वावधान में खेल प्रशाल स्थित लाभ मंडपम सभागृह में आयोजित ‘ गाय के दूध से सावधान’ विषयक संगोष्ठी में ऐसी अनेक बातें बताई।

राघवन ने कहा कि देश में गाय का दूध हजारों वर्षों से प्रयुक्त किया जा रहा है। आज बाजार में जो दूध हमें मिल रहा है उसमें कई तरह की मिलावट हो रही है। गाय के दूध में भेड़, बकरी और ऊंटनी के दूध की मिलावट हो रही है।

इस मिलावट को आसानी से पहचानना संभव नहीं है। इस कारण ग्राहकों को शुद्ध और अच्छे दूध की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। लेक्ट्रो मीटर की जांच में भी ऐसा दूध शुद्ध करार दिया जाता है। गाय के दूध में जो मिलावट की जा रही है, उसमें सबसे खतरनाक सिंथेटिक दूध है।

उन्होंने स्लाइड शो के माध्यम से बताया कि बाजार में देशी और विदेशी गाय के अलावा संकरित दूध भी मिल रहा है।

दूध में भी ए-वन और ए-टू –

इन दिनों दुनिया में दूध के लिए ए- वन और ए-टू श्रेणी बना दी गई है। यूरोपीय देश ए-वन दूध अपना बता रहे हैं और ए-टू दूध भारत का। वास्तव में भारतीय लोगों के पास इस दूध को परखने या जांचने की कोई व्यवस्था ही नहीं है, जिससे वह पता लगा सके कि असली और नकली दूध में क्या अंतर है।

गाय के दूध का उल्लेख वेदों, महाभारत एवं अन्य धर्मग्रंथों में भी किया गया है। कौटिल्य अर्थ शास्त्र में भी गाय और भैंस के दूध की फेट्स की मात्रा का वर्णन किया गया है। वेद में तो यह भी कहा गया है कि गाय के दूध में मिलावट करना भी हत्या के अपराध जैसा है।

इसके बावजूद लोभी प्रवृत्ति के लोग गाय के दूध के नाम पर मिलावट का गौरख धंधा चलाए हुए हैं।

स्लाईड शो से समझाया

उन्होंने तथ्यात्मक जानकारी देते हुए बताया कि देशी गाय का दूध ही सर्वश्रेष्ठ है। श्रेष्ठ गुणवत्ता वाले और कृत्रिम दूध में अंतर को भी उन्होंने रेखांकित किया। संगोष्ठी में मौजूद लोगों ने उनसे अनेक प्रश्न भी पूछे और उनका समाधान भी प्राप्त किया।

उन्होंने स्लाईड शो के माध्यम से प्रभावी ढंग से अपनी बात रखी और श्रेष्ठ गुणवत्ता वाले तथा कृत्रिम दूध के बीच अंतर को रेखांकित करते हुए स्पष्ट कहा कि कृत्रिम दूध धीमे जहर की तरह काम करता है।

हम दुनिया में देशी गाय के दूध के सबसे बड़े या नंबर वन उत्पादक हैं फिर भी इतनी बीमारियां क्यों बढ़ रही है, इस खतरे से समाज को बचने और बचाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि इस स्थिति में हमें यह जानना बहुत जरूरी है कि हमें गाय का शुद्ध दूध कैसे मिले। हमारे वैज्ञानिकों ने अब तक यह तथ्य स्वीकार नहीं किया है कि ए-वन और ए-टू दूध क्या है। हम तो केवल इस बात की गारंटी चाहते हैं कि हमें मिल रहा गाय का दूध शुद्ध, पौष्टिक और मिलावट रहित हो।

हम दूध का प्रयोग बीमारों से लेकर बच्चों और बूढ़ों तक में करते हैं। यदि दूध मिलावटी या सिंथेटिक हुआ तो यह और ज्यादा गंभीर बीमारियों को जन्म देने वाला हो सकता है। इस संबंध में उपभोक्ताओं को तो जागरूक होने की जरूरत है ही, सरकार को भी समय रहते ऐसे नकली और मिलावटी दूध की धरपकड़ तेज करने का अभियान चलाना चाहिए।

प्रारंभ में अहिल्या माता गोशाला की ओर से अध्यक्ष रवि सेठी, राजेश गुप्ता, सी.के. अग्रवाल, पुष्पेन्द्र धनोतिया, राकेश पोरवाल, पुष्यमित्र पांडे एवं निक्की सुरेका आदि ने राघवन का स्वागत किया।

संगोष्ठी में शहर के अनेक दूध विक्रेता, गोशाला संचालक एवं उपभोक्ता संगठनों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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