सीधी

अब सीधी के महुए की महक पहुंची लंदन।

अब सीधी के महुए की महक पहुंची लंदन
बनाई जा रही बिस्किट एवं चॉकलेट
विगत वर्ष 6.8 टन महुए की खेप भेजी गई थी लंदन
महुआ कारोबारियों के लिए बड़ी उपलब्धि
सीधी
जिले के महुए की महक अब विदेश में भी पहुंच चुकी है। सीधी से लंदन पहुंची महुए की महक से वहां चॉकलेट, बिस्किट, चाय, काफी जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों का निर्माण किया जा रहा है। यहां तक कि लंदन सहित आसपास के अन्य देशों में भी महुए से बनी ये खास वैरायटी के डिश भेजने का काम शुरू कर दिया गया है।
जिले से करीब 6.8 टन महुआ की खेप लंदन भेजा जा चुकी है। जिले की 31 समितियों ने इस महुए का संग्रहण किया था वहीं 8 समितियां जिले में भी महुए का संग्रहण कर बिस्किट एवं अन्य पौष्टिक पदार्थ बनाने के लिए काम करना शुरू कर दी हैं।
वन विभाग के माध्यम से शुरू की गई पहल
जिले में इसके पहले महुए का उपयोग दारू बनाने के लिए काम किया जाता था। लोग ये सोचते थे कि महुए का उपयोग सिर्फ दारू बनाने के लिए ही सीमित रहेगा लेकिन अब वन विभाग के अधिकारियों द्वारा लोगों की सोच पर अलग हटते हुए जिले के महुए को विदेश में भेंजने का काम करने के बाद अब महुए की कीमत बढ़ गई है। फिलहाल विगत वर्ष 6.8 टन महुआ लंदन भेजा गया जो कि 110 रूपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से महुआ भेजने की जानकारी मिली है। इसके लिए 11 समितियों के माध्यम से महुआ का संग्रहण किया गया था जो कि जमीन के ऊपर जाली लगाकर महुआ के फूल का संग्रहण किया गया एवं सुखाने के बाद महुआ बाहर भेजा गया है। इस फ्रूट महुए से पौष्टिक पदार्थ बनाने का काम विदेश में शुरू कर दिया गया है।
इसकी नकल अब सीधी में भी शुरू हो गयी है। यहां भी 8 समितियां महुएं को संग्रहण कर बिस्किट और आचार बनाने का काम शुरू कर दी हैं। कुल मिलाकर महुए की खेती अब किसानों के लिए लाभदायक साबित मानी जा सकती है।
महुए की उपयोगिता को लेकर विभाग द्वारा लोगों को जागरूक भी किया जाता रहा है। वन विभाग द्वारा इस मामले में लोगों को जागरूक करने सहित समितियों को भी यह बताया गया है कि महुआ बहुत कीमती है इसका संग्रहण और विक्रय आप करिए जिस वजह से आज महुआ विदेश में भेजा गया है। चलित लैब के माध्यम से महुआ का परीक्षण करने के लिए बाहर से टीम आई थी परीक्षण उपरांत यह महुआ विदेश में भेजा गया है। इसमें वन मंडलाधिकारी क्षितिज कुमार की प्रमुख भूमिका मानी जा सकती है।
जिले में भी बिस्किट, आचार बनाने का काम कर रही समितियां : क्षितिज
इस संबंध में वन मंडलाधिकारी क्षितिज कुमार ने बताया कि सीधी जिले में भी 8 बंधन समितियां केन्द्र हैं जिनके माध्यम से जिले में संग्रहित महुए में आचार, बिस्किट बनाने का काम किया जा रहा है। यह आचार वन मेला भोपाल में काफी बिका। उन्होने बताया कि करीब 200 रूपए प्रति किलोग्राम से भोपाल में वन मेला के दौरान समस्त आचार बिक गया है वहीं दिल्ली में भी महोत्सव के दौरान लघु वनोपज द्वारा संग्रहित आचार की बिक्री हो रही है।
श्री कुमार ने कहा कि ये जिले के लिए गौरव की बात है। सूखे महुए के संग्रहण करने के बाद यह पहला जिला होगा जहां कि विदेश में महुंए की बिक्री कराई जा रही है। इसके लिए संग्रहण की ट्रेनिंग भी दी गई है।
संग्राहकों के चेहरे में भी दिखी खुशी की लहर
विदेशों में महुंए की बिक्री को लेकर संग्रहणकर्ता किसान भी खुश हैं। उनका यही कहना है कि आज हमारे सीधी जिले का महुआ विदेश में बिक रहा है ये हमारे लिए गौरव की बात है। किसानों का ये भी कहना था कि हम महुए की कीमत पहले नहीं समझते थे। महुआ खेतों से बीनते थे और औने-पौने दाम में व्यापारियों को बेच देते थे। लेकिन आज महुआ की कीमत हम लोग समझ गए हैं जिस वजह से महुआ जमीन पर गिरकर खराब ना हो इस कारण से जाली लगाकर महुआ को संग्रहित करते हैं और सुखाने के बाद महुआ बेचने का काम हम लोग कर रहे हैं।
सीधी जिले में खासकर कुसमी क्षेत्र में अधिकतर महुए की बिक्री की जानकारी मिली है। सूखा महुआ 110 रूपए प्रति किलोग्राम के रेट से संस्थान द्वारा बिक्री किया गया था। आज महुए की बिक्री से संबंधित लोगों में भी खुशी है। वजह यह कि इस महुए से पहले यहां शराब बनाई जाती थी लेकिन आज इस महुए से बिस्किट, आचार, काफी, चाय जैसे पौष्टिक पदार्थ बनाने का काम भी किया जा रहा है।

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