सीधी

ऐप के फीडबैक पर भाजपा की तैयारी,कांग्रेस समाज प्रमुखों से साध रही सम्पर्क।

छोटे-छोटे समूह में समाजों से सम्पर्क कर रहे प्रत्याशी व कार्यकर्ता।

ऐप के फीडबैक पर भाजपा की तैयारी,कांग्रेस समाज प्रमुखों से साध रही सम्पर्क।

सीधी:- चुनाव करीब आने के साथ ही प्रत्याशियों से लेकर राजनीतिक दलों ने जातिगत समीकरणों को साधना शुरू कर दिया है। राजनीतिक दलों के पदाधिकारी, संगठन प्रमुख सामाजिक संपर्क बढ़ा रहे हैं। समाजों को साधने के लिए भाजपा-कांग्रेस दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रमुख अनुषांगिक संगठन, मोर्चा, प्रकोष्ठ की सक्रियता बढ़ गई है। मोहल्लों से लेकर वार्ड, समाजों के भवन, कार्यालयों, धर्मशाला में बैठक आयोजित की जा रही है। इन बैठकों में सम्बंधित मोर्चा या प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों के साथ ही सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी, समाज के प्रबुद्धजन, वरिष्ठजन भी शामिल होते हैं।

 

ऐप पर फीडबैक से लेकर व्यक्तिगत सम्पर्क:-
समाज के युवाओं व सक्रिय महिलाओं को भी शामिल किया जा रहा है। साथ ही ये संदेश भी दिया जा रहा है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक उनकी बात पहुंचाएं। अपने-अपने तरीकों से बूथ स्तर तक जातियों के मूड को भांपने में भी जुट गए हैं। भाजपा के पदाधिकारी, कार्यकर्ता सामाजिक संपर्क के दौरान पार्टी ऐप के माध्यम से लोगों से फीडबैंक भी ले रहे हैं। इसके साथ ही सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं के हितग्राहियों की सूची के हिसाब से उनसे भी संपर्क साधकर फीडबैक ले रहे हैं। इसी तरह से कांग्रेस के भी महिला मोर्चा से लेकर अन्य मोर्चा, प्रकोष्ठ, युवा विंग, एनएसयूआई की टीम भी जबरदस्त सक्रिय नजर आ रही है। उनके पदाधिकारी सामाजिक प्रमुखों से व्यक्तिगत संपर्क कर रहे हैं।

 

सामाजिक आयोजनों में हो रहे शामिल:-
त्यौहारों का सीजन चल रहा है। अलग-अलग समाजों के धार्मिक, सामाजिक आयोजन सभी को संपर्क के लिए बेहतर अवसर प्रदान कर रहे हैं। ऐसे में प्रत्याशियों, राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों को भी एक पंथ दो काज का भरपूर अवसर मिल रहा है। वे आयोजनों में शामिल होने के बहाने पहुंच रहे हैं। इस दौरान सबसे मिलना-जुलना तो हो ही जा रहा है, मौका मिलते ही धीरे से अपने मन की बात कह दे रहे हैं। वे सामूहिक पूजन-अनुष्ठान से लेकर, रैलियों में शामिल होने भी पहुंच रहे हैं। इस दौरान आयोजन में सहभागिता के नाम पर चुपके से सहयोग भी कर रहे हैं।

अष्टमी-नवमी का दिन होगा खास :-
नवरात्र पर्व में अष्टमी-नवमी तिथियों में अलग- अलग समाजों के आयोजन होंगे। सामूहिक पूजन से लेकर भंडारा, प्रसाद वितरण में भीड़ जुटने वाली है। ऐसे में राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों से लेकर प्रत्याशी इन तिथियों पर ज्यादा से ज्यादा लोगों से संपर्क कर उनका आशीर्वाद लेंगे।

महिलाओं के माध्यम से भी आयोजन:-
सामाजिक संपर्का में भाजपा-कांग्रेस के महिला मोर्चा से लेकर प्रकोष्ठ की भी खास भूमिका है। वे नवरात्र के अवसर पर भजन, भक्त कराने से लेकर सुंदरकांड पाठ, कन्या पूजन समेत अन्य सामूहिक आयोजन करा रही हैं। जिनके माध्यम से धीरे से पार्टी संगठन का संदेश भी लोगों तक पहुंचा रही हैं। नवरात्र में शहर में भी सामाजिक कार्यों की धूम हैं। ऐसे में यहां कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं।

वोटरों के मौन से फूल रहा दम:-
चुनाव कोई भी हो मतदाताओं की थाह पाना राजनीतिकों के लिए कठिन रहता है। वोटर मुखर हो तो किसी के प्रचार में आगे होने का अनुमान लग जाता है और एक स्पष्ट सी राय भी समझ में आती है। किस पर किसका असर है, हालाकि तब भी यह पकड़ पाना मुश्किल रहता है कि वोट किधर गिरेगा।
लेकिन जब वोटर मौन हो जाए और कुरेदने पर भी चुनाव और राजनीति की बात करने को तैयार न हो तो राजनीतिज्ञों की सांसे फूलना स्वाभाविक है। इस बार ऐसा ही है, वोटर राजनीति और वोट को छोडकर हर बात करता है। ऐसा नहीं है कि सभाओं में भीड़ नहीं आ रही है, पर वैसा उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है। मतदाताओं के इस रुख ने प्रचारकों की पेशानी पर बल ला दिया है। जनसंपर्क में निकले नेताओं को इस बार अजब-गजब अनुभव मिल रहे हैं। बातचीत शुरू होते ही वोटरों के मन की बात बताने पर जोर देने पर वह कन्नी काटने लगता है। हालात तो यहां तक है कि जनसम्पर्क अभियान के दौरान नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ देखकर वोटर किनारे होकर टुकुर-टुकुर देखने लगता है, उसमे कतई दिलचस्पी नहीं दिखती कि वह प्रचारकों के पास जाकर कोई बात करे या सुने।

आमतौर पर चाय के ठिए व बाजारो पर खरीदी के दौरान चुनाव की चर्चा छिड़ते ही रुझान का पता चल जाता है। लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं है, दुकानदार भी ग्राहक के मूड की चिंता किए बिना कह देता है कि कोई माहौल नहीं है, वोट कहां जाएगा इसकी चर्चा उससे कोई नहीं करता है। वोटिंग नजदीक आते देख प्रत्याशी से लेकर पार्टी कार्यकर्ता तक चिंता में डूबने-उतराने लगे है।

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