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हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को बागियों ने हराया, पार्टी अभी कार्रवाई के मूड में नहीं

शिमला। हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन उपचुनाव में बीजेपी को उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिले। यहां 9 सीटों पर हुए उपचुनाव में तीन ही सीटें हासिल हुई और बागियों की वजह बीजेपी को नुकसान हुआ। अब तक पार्टी बागियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाई है। हिमाचल प्रदेश के ऊना में पार्टी कार्यसमिति की बैठक भी हुई, लेकिन, बैठक के बाद बागियों पर कार्रवाई को लेकर बीजेपी ने कोई एक्शन नहीं लिया। इतना कहा कि अब तक रिपोर्ट और शिकायत नहीं मिली है।

दरअसल, हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों कुल 9 सीटों पर उपचुनाव हुए। 1 जून को छह सीटों पर मतदान हुआ और इसमें बीजेपी को दो सीटें मिली, जबकि 10 जुलाई को हुए उपचुनाव में बीजेपी 3 में से 1 ही सीट जीत पाई। ऐसे में उपचुनाव में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन कर छह और बीजेपी ने 3 सीटों पर कब्जा जमाया। बीजेपी की इस उपचुनाव में पार्टी की कमियां और कलह सामने आ गईं।

हिमाचल प्रदेश में 1 जून को लाहौल स्पीति, धर्मशाला, बड़सर, कुटलेहड़, सुजानपुर और गगरेट में उपचुनाव हुए। धर्मशाला और बड़सर में पार्टी को जीत मिली। लाहौल स्पीति में बीजेपी के पूर्व मंत्री रामलाल मारकंडा बागी हो गए और चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे। इसी तरह धर्मशाला में बीजेपी के राकेश चौधरी ने बागी होकर आजाद उम्मीदवार के रुप में चुनाव लड़ा। इसी तरह अन्य सीटों पर भी बीजेपी को भीतरघात का सामना करना पड़ा है।

अब इन सीटों पर हुए उपचुनाव को करीब दो महीने हो रहे हैं, लेकिन पार्टी ने अब तक बागियों पर कोई कार्रवाई नहीं की है। सुजानपुर से पार्टी के पूर्व प्रत्याशी कैप्टन रणजीत सिंह ने पार्टी ही छोड़ दी और कांग्रेस के टिकट पर जीत भी गए। वही गगरेट में बीजेपी नेता राकेश कालिया ने बीजेपी छोड़ी और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत गए। कुटलेहड़ में पूर्व मंत्री की भुट्टो को टिकट देने पर बगावत जगजाहिर हुई।

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