हल्की बारिश में ही टूटी 36 लाख के तालाब की मेढ़,रातों-रात मामले में पर्दा डालने बनाई गई मेढ़,आर ई एस विभाग का नया कारनामा।
हल्की बारिश में ही टूटी 36 लाख के तालाब की मेढ़,रातों-रात मामले में पर्दा डालने बनाई गई मेढ़,आर ई एस विभाग का नया कारनामा।
संजय सिंह मझौली सीधी
जनपद पंचायत मझौली अंतर्गत ग्राम पंचायत सिरौला में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग सीधी द्वारा नवीन तालाब निर्माण जिसकी प्रशासकीय स्वीकृति 36 लाख 82 हजार रुपए के निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। ग्रामीणों की माने तो उक्त तालाब का निर्माण जेसीबी मशीन एवं ट्रैक्टरों के द्वारा कराया गया है जिसमें गुणवत्ता की काफी अनदेखी की गई है जबकि फर्जी तौर पर लाखों रुपए के मस्टर रोल भरे गए हैं। निर्माण कार्य के गुणवत्ता की पोल उस समय खुल गई जब हल्की बारिश में ही एक तरफ तालाब की मेढ़ बह गई वहीं दूसरी तरफ बेस्ट बियर का पक्का निर्माण कार्य कराया गया था वह भी टूट कर बह गया। जिसमें पर्दा डालने के लिए रातों-रात जेसीबी मशीन से फिर से बंधाया गया है।
तालाब निर्माण में उजाड़ा गया था आदिवासियों का आशियाना
ग्रामीणों के मुताबिक जिस जमीन में नवीन तालाब निर्माण कराया गया है वहां कई दशक पूर्व से आदिवासी परिवार आवाद थे एवं उसी जमीन में खेती-बाड़ी कर अपना परिवार चलाते थे लेकिन निर्माण कार्य के नाम पर उनका आशियाना भी उजाड़ दिया गया।
*सिरौला में स्वीकृत तालाब का जोबा में हुआ निर्माण*
तालाब निर्माण कार्य में जहां नियम के अनदेखी की गई है वही मनमानी भी किया गया है क्योंकि निर्माण कार्य ग्राम पंचायत सिरौला के नाम पर स्वीकृत किया गया था जबकि निर्माण कार्य ग्राम पंचायत जोबा के बरुहा टोला में कराया गया है।
विकास के नाम पर हो रहा फर्जीवाड़ा
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि जिस तरह ग्राम पंचायत के विकास के लिए इतने बड़े निर्माण कार्य की स्वीकृति जारी की गई थी उसमें लंबे समय तक जरूरतमंद लोगों को रोजगार भी मिलता है और गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य होता है साथ ही उसकी उपयोगिता भी होती है लेकिन तालाब निर्माण में ना तो जरूरतमंदों को रोजगार मिला और ना ही गुणवत्तापूर्ण कार्य हुआ और ना ही उस स्थान पर तालाब की उपयोगिता है क्योंकि वह बसाहट से काफी दूर है जिसमें यही कहा जा सकता है कि निर्माण कार्य में फर्जीवाड़ा हुआ है। वहीं कहने को तो ग्रामीण यांत्रिकी सेवा निर्माण एजेंसी है लेकिन कार्यपालन यंत्री के द्वारा ऐसे लोगों को निर्माण कार्य का जिम्मा दिया गया है जिनको ना तो निर्माण कार्य का अनुभव है और ना ही जारी दिशा निर्देश एवं स्टीमेट का पालन ही किया गया है।
इनका कहना
मैं भूमिहीन हूं और इसी सरकारी जमीन में अपना परिवार पालता था लेकिन इसमें जबरन तालाब बना दिया गया। हम लोगों को रोजगार भी नहीं मिला। पूरा काम जेसीबी मशीन और ट्रैक्टरों से कराया गया है।
गोपाल कोल पीड़ित ग्रामीण