भारत में बहुत कम समय बचा क्या डीजल कारों के लिए
नई दिल्ली। भारत सरकार इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों की बिक्री बढ़ाने के लिए सब्सिडी दे रही है। वहीं सरकार की ऐसी कोई भी नीति नहीं है जो डीजल कारों की बिक्री को प्रोत्साहन दे। ऐसे में कहा जा सकता है कि डीजल कारों के लिए समय बहुत कम बचा है। कई प्रतिबंधों और अधिक टैक्स के बावजूद भारतीय बाजार में आज भी डीजल कारें अच्छी संख्या में बिक रही हैं।
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह डीजल कारों का पेट्रोल कारों की तुलना में अधिक माइलेज है। इससे इनमें ईंधन की लागत कम होती है। दूसरी वजह अधिक इंजन पावर का होना है। समान मॉडल की एक डीजल कार अपने पेट्रोल मॉडल की तुलना में अधिक पॉवर और टॉर्क जनरटे करती है। बड़ी और भारी गाड़ियों में कंपनियां अक्सर डीजल इंजन का ही इस्तेमाल करती हैं।
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इसके अलावा डीजल इंजन अधिक टिकाऊ और लंबे समय तक चलने वाला होता है। दरअसल, डीजल कारें पावरफुल तो होती है लेकिन पेट्रोल की तुलना में अधिक प्रदूषण भी फैलाती हैं। डीजल कार के धुंए से अधिक मात्रा में पार्टिकुलेट मैटर और कार्बन डाइऑक्साइड निकलता है जो स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होता है।
इस वजह से दिल्ली एनसीआर में 10 साल से पुरानी डीजल गाड़ियों को बैन कर दिया गया है। सरकार प्रदूषण मुक्त भविष्य की तरफ कदम बढ़ा रही है। इस वजह से इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड गाड़ियों को अधिक प्रमोट किया जा रहा है। आने वाले समय में हाइब्रिड कारों पर जोर दिया जा सकता है जिनमें ईंधन से चलने वाले इंजन के साथ इलेक्ट्रिक मोटर लगा होता है।
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ये गाड़ियां बहुत कम प्रदूषण पैदा करती हैं। इसके अलावा बायोडीजल से चलने वाली गाड़ियों पर भी जोर दिया जा सकता है। बायोडीजल एक जैव ईंधन है जिसके जलने से डीजल के मुकाबले बहुत कम प्रदूषण होता है। पिछले कुछ सालों को देखें तो डीजल कारों को लेकर दुनियाभर की सरकारें सख्त हुई हैं।