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हो रही बच्चों की नींद प्रभावित सोशल मीडिया के कारण

सोशल मीडिया साइट्स पर देर तक रहने के कारण 10 साल तक के बच्चे सप्ताह में एक रात कम सो रहे हैं। आसान भाषा में कहें तो वे हर दिन कुछ घंटे कम सो रहे हैं। याद दिला दें कि दस साल की उम्र के बच्चों को रात में 9 से 12 घंटे सोने की सलाह दी जाती है, जबकि कम नींद के कारण उनका स्कूल में प्रदर्शन खराब हो सकता है और उनके व्यवहार में भी बदलाव आ सकता है। जानकारी के मुताबिक, एक अध्ययन में पाया गया कि दस साल के बच्चे जो सोशल मीडिया का अधिक उपयोग करते हैं, उनकी नींद खराब होती है और इस वजह से वे औसतन रात में केवल 8.7 घंटे की नींद ही ले पाते हैं।

ब्रिटिश साइंस फेस्टिवल में अपने इस शोध को प्रस्तुत करते हुए डी मोंटफोर्ट विश्वविद्यालय के डॉ जॉन शॉ ने बताया कि शोध में हिस्सा ले रहे 69 प्रतिशत बच्चे खुद ये स्वीकारते हैं कि वे दिन में चार घंटे से अधिक समय तक सोशल मीडिया पर रहते हैं जो उनके लिए खतरनाक हो सकता है। यह शोध लीसेस्टर के स्कूलों में दस साल की उम्र के 60 बच्चों पर की गई जिनमें से सभी की सोशल मीडिया तक पहुंच थी और जिनमें से 89 प्रतिशत के पास अपना स्मार्टफोन था। सैन डियागो स्टेट युनिवर्सिटी के मुताबिक, इस उम्र के खुशहाल बच्चों के लिए दिन में 2 घंटा डिजिटल मीडिया टाइम काफी होता है।

लेकिन जैसे जैसे ये स्क्रीन टाइम बढ़ता जाता है वैसे वैसे बच्चों में अनहैप्पी फीलिंग बढ़ने लगती है।शोध में पाया गया कि 2000 के बाद पैदा हुए प्रतिभागी जीवन से कम संतुष्ट थे और उनमें आत्म-सम्मान भी कम था। वे 1990 के दशक में बड़े होने वालों की तुलना में खुश भी कम थे। जबकि, 2012 के बाद औसत टीन एजर बच्चों की जीवन में संतुष्टि, आत्म-सम्मान और खुशी में तेजी से गिरावट देखने को मिली है। सोशल मीडिया वयस्क ही नहीं, बल्कि बच्चों की जिंदगी पर भी गहरा असर डाल रहा है।

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