लोगों की बदल रहा सोच एआई आज लोगों के जीवन में देने लगा दखल
नई दिल्ली। जीवन के अधिकांश क्षेत्रों में अब एआई तकनीक यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काफी दखल देने लगा है। कई देशों ने इसे रोजमर्रा के रूप में प्रभावी बना लिया है। अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या एआई हमारे दिमाग पर भी हावी हो सकता है या उसे बरगला सकता है? इसे लेकर अमेरिका में शोध से चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
शोध से पता चलता है कि एआई हमारी सोच को भी बदल सकता है। यह हमारे मस्तिष्क में सालों से चल रही थ्योरी को भी बदल सकता है। शोध में ऐसे विषयों को शामिल किया गया। जैसे चांद पर इंसान के उतरने की बात मनगढ़ंत थी या कोरोना वैक्सीन टीकों पर माइक्रो चिप्स लगाए गए हैं। हैरानी की बात यह है कि लोग एआई के बरगलाने पर आसानी से यकीन भी करने लगे हैं।
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प्रोफेसर थॉमस कॉस्टेलो की अध्यक्षता में किए गए अध्ययन से पता चला है कि एआई हमारी किसी भी विषय पर आलोचनात्मक सोच को और प्रभावी ढंग से बढ़ा सकता है और तथ्य-आधारित प्रतिवादों को गलत साबित कर सकता है। 2190 लोगों पर इसका प्रयोग किया गया। इनमें से ज्यादातर लोगों ने एआई द्वारा भ्रमित करने पर उसे सच मान लिया।
प्रतिभागियों को एआई के साथ तीन दौर की बातचीत में शामिल किया गया। इसके बाद, वे अपनी सालों पुरानी सोच को बदलने पर मजबूर हो गए। कई लोग एआई द्वारा बरगलाने पर यह मान गए कि उनकी किसी विषय को लेकर अवधारणा या सोच गलत थी। कम से कम दो महीने तक एआई का उनके दिमाग पर असर रहा। डॉ. कॉस्टेलो ने कहा कि जिन लोगों ने प्रयोग की शुरुआत में एआई पर यकीन किया, उनमें से करीब एक-चौथाई लोग बाद में उस यकीन के बिना ही बाहर आ गए।
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ज्यादातर मामलों में, एआई केवल लोगों को थोड़ा ज्यादा संदेहशील और अनिश्चित बना पाया। हालांकि चुनिंदा लोग यह यकीन करने में कामयाब रहे कि एआई उन्हें बरगलाने की कोशिश कर रहा है। शोध से यह पता चलता है कि एआई सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं को दूर करने में अहम भूमिका निभा सकता है। अगर एआई का इस्तेमाल गलत और मतिभ्रम के लिए किया जाए तो यह खतरनाक साबित हो सकता है।