सिंगरौली

कलेक्टर को गुमराह करने का है आरोप तहसीलदार पर 

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कनई पटवारी हल्का का मामला, पटवारी प्रतिवेदन को तहसीलदार ने किया नजरअंदाज, तहसीलदार करेंगी जांच  बरगवां तहसील के पटवारी हल्का कनई के विरूद्ध कार्रवाई का मामला तूल पकड़ने लगा है। आरोप है कि तहसीलदार ने अपनी नाकामी को छुपाने के लिए कलेक्टर को गुमराह कर दिया। जहां पटवारी शांति वर्मा कार्रवाई की शिकार हो गई। इधर जिस अधिकारी पर आरोप है कि एसडीएम उसी को विभागीय जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया है।

ज्ञात हो कि कलेक्टर ने हल्का पटवारी कनई शांति वर्मा को वरिष्ठ न्यायालय के आदेशों का अभिलेखों में अमल न करने के संबंध में तहसीलदार बरगवां के प्रस्ताव पर निलंबित कर दिया है। इस संबंध में आरोप है कि कलेक्टर ने तथ्यों पर विचार किए बिना ही तहसीलदार के प्रतिवेदन को पर्याप्त आधार मान लिया है। जबकि उक्त मामले में तहसीलदार बरगवां ने सीएम राइज के 4 किता वाले रकबे के एक किता को अपनी आईडी से अप्रूव नहीं किए जाने के कारण हल्का पटवारी द्वारा कार्य को संपादित नहीं किया जा सका है।

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जब कि राजस्व विभाग के सूत्र बताते हैं कि इस संबंध में हल्का पटवारी कनई ने तहसीलदार बरगवां को ग्राम कनई की उक्त संबंधित भू-लेख पोर्टल खसरा एवं नक्शा में एकरूपता नहीं होने के संबंध में प्रतिवेदन दिया गया था। यह भी बताया गया था कि ग्राम कनई की आराजी क्रमांक 1205/2, 1290/4/1, 1290/4/2 और 2033/7 का नक्शा तर्मीम नामांतरण व बंटवारा का आदेश न्यायालय तहसीलदार बरगवां से हो गया है। आदेश का अमल मूल नक्शे में कर दिया गया है।

किन्तु भू-लेख पोर्टल में अमल के दौरान खसरा एवं नक्शा में एकरूपता नहीं पाई गयी है। ऑनलाइन नक्शे में पूर्व से ही उक्त आराजियों के बटांक बन गये हैं और वही खसरे में भी बटांक करने के लिए पुन: दिख रहे हैं। ऐसे स्थिति में भू-लेख पोर्टल के आदेश का अमल किए जाने के लिए तहसीलदार आईडी से नक्शे का विलय किया जाना होगा। यह भी कहा गया कि यदि तीन आराजी पर इस प्रकार की कार्रवाई की जा चुकी है।

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लेकिन एक किता पर ही कार्रवाई पूरी नहीं होने का कारण जानना जरूरी नहीं समझा गया। जिसके लिए हल्का पटवारी पर निलंबन की कार्रवाई की गई। इधर राजस्व विभाग में इस बात की चर्चा है कि तहसीलदार बरगवां ने अपनी कमी को छुपाने के दृष्टिगत से कलेक्टर को वरिष्ठ न्यायालयों के आदेश का अमल नहीं करने और स्वेच्छाचारिता का प्रतिवेदन दिया गया है। फिलहाल तहसीलदार की कमी होने के बावजूद पटवारी पर की गई कार्रवाई को लेकर राजस्व विभाग के अमले की बीच ही तरह-तरह की चर्चाएं की जाने लगी है।

 

 

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