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कलेक्टर के यहां फरियाद करने पहुंचा सौ किलोमीटर का सफर कर दिव्यांग

आवास के लिए लगाई गुहार, व्यवस्था पर सवाल

एक ओर सरकार गरीबों को छत मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना चलायी जा रही है। तो वहीं दूसरी ओर एक गरीब दिव्यांग हैं, जिन्हें आवेदन के बावजूद आवास नहीं मिल सका है।

जिला प्रशासन की अव्यवस्था का पोल तब खुला जब दिव्यांग जनसुनवाई में आवास और शौचालय के लिए पहुंचा। सरई के कछरा गांव निवासी दिव्यांग की इन्हीं हालातों में जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं। गौरतलब है कि सरई तहसील में आवास योजना के क्रियान्वयन पर सवाल है। यहां के कछरा गांव निवासी दिव्यांग लल्ले यादव पिता बदुआ यादव को आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका है। जबकि दिव्यांगों को आवास देने की प्राथमिकता है। पात्रता सूची में नाम होने के बाद भी गरीब दर-दर भटक रहे हैं। वह अपनी पीड़ा लेकर सरपंच, सचिव, तहसील, ब्लॉक व जिला मुख्यालय तक की दौड़ लगा कर थक चुके हैं। हर जगह से निराशा ही हाथ लगी है। उन्होंने कहा कि अक्सर सुनने में आता था कि दिव्यांग लोगों को शौचालय व आवास की सुविधा सरकार प्राथमिकता के साथ दे रही है। इसी सूचना के आधार पर कई बार जिम्मेदारों के दर पर दौड़ लगाया। लेकिन अधिकारी केवल आश्वासन देते रहे।

आवास के लिए कोई सार्थक पहल नहीं हुई
दिव्यांग लल्ले यादव ने बताया कि एक टूटा-फूटा छप्पर का आशियाना है। सचिव अजय पाण्डेय और सहायक सचिव पारस कुशवाहा से सिर्फ आश्वासन मिलता है। सिर पर छत के लिए कोई सार्थक पहल नहीं कर रहा। जिसके चलते दिव्यांग निराश हैं। उनकी सर्दी, गर्मी और बरसात की रात छप्पर में गुजर रही है। दिव्यांग ने कहा कि दोनों पैर नहीं होने से ज्यादा दूर तक आने-जाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मेरे घर में शौचालय नहीं हैं। कई बार सचिव-सरपंच से शौचालय की मांग किया। लेकिन मिला नहीं। दिव्यांग ने कहा कि ठंडी, बरसात और गर्मी में शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है। वह सबसे कठिन भरा समय रहता है।

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