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एक दिन की मासूम की करुण पुकार,मां…कड़कड़ाती सर्दी मे मुझे आंचल की गर्मी से क्यो दूर किया…

एक दिन की मासूम की करुण पुकार,मां…कड़कड़ाती सर्दी मे मुझे आंचल की गर्मी से क्यो दूर किया…

पापा…टॉयलेट रुम मे फेंकते समय क्या आपके हाथ एक बार भी नहीं कांपे

राजू गुप्ता ब्यूरो सीधी

हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में इंसानियत को झकझोर देने वाली दो घटनाएं रामपुर नैकिन थाना क्षेत्र अंतर्गत सामने आई है।सूरज उगने के पूर्व अधियारी रात मे निर्दयी माता-पिता अपनी महज एक दिन के मासूम नवजात को टायलेट रुम व कुएं मे फेंक गए।उसके रुदन ने आसपास के लोगों के दिल दहला दिए लेकिन जन्म देने वाले माता-पिता का दिल नहीं पसीजा।उसने महिला-पुरुष समानता का दावा भरने वाले आधुनिक समाज के समक्ष सवाल खड़ा किया क्या नवजात शिशु का होना इतना बड़ा कसूर है।उसके सवालों के आगे…हम निरुत्तर है।

 

मां-पिता मुझे दुनिया मे आए चंद घंटे ही हुए थे।सूरज उगने पर मिली दोहरी खुशी से आप दोनों भी आनंदित थे,फिर ऐसा क्या हो गया कि आपने कलेजे के टुकड़े को फेंक दिया।क्या बेटा-बेटी होना गलत है।मां आप भी तो किसी की बेटा-बेटी ही होगी।जन्म के चंद घंटों बाद गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात 10-11 डिग्री सेल्सियस की सर्दी मे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के टॉयलेट रुम मे आप लोग मुझे फेक आए।ऐसी सर्दी में सामान्य आदमी के हाड़ कांप जाएं,लेकिन आप मुझे बगैर कपड़ो के ही छोड़ आए।मां क्या आपके आंचल की गर्मी और दूध पर मेरा कोई अधिकार नहीं।

 

पापा…आप अपने लाड़ले-लाड़ली को कुंए और टॉयलेट रुम मे फेकते वक्त एक बार भी आपके हाथ नहीं कांपे।मैं तो रुर्ई सी मुलायम अभी ठीक से रो-बिलख भी नहीं पा रही थी।कड़कड़ाती सर्दी में खुले आसमान के नीचे मे तो समझ ही नहीं पाई ये कैसा समाज है।क्या ईश्वर ऐसे क्रूर हाथों मे सौपता है।मेरे पास रोने-बिलखने के सिवा बचा ही क्या था।

कौन छोड़ गया नहीं चला पता:-
रामपुर नैकिन थाना अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामपुर नैकिन के टॉयलेट रुम व पिपरांव चौकी अंतर्गत भरतपुर के जर्जर कुएं मे नवजात शिशुओं को कौन व्यक्ति फेंककर गया, इसकी जानकारी नहीं हो पाई।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामपुर नैकिन के टॉयलेट रुम मिले करीब चार माह के नवजात शिशु के संबंध में अस्पताल के कर्मचारियों को पहले तो भनक तक नहीं लगी।मरीज आपस मे गुप्तगू करने में लगे रहे।अंततः अस्पताल प्रबंधन को दोपहर करीब 12 बजे जानकारी दी गई।वही पिपरांव चौकी अंतर्गत भरतपुर मे बीते दिनों देवीदीन पांडेय के जर्जर कुए मे एक नवजात को पानी मे तैरते हुए देखा।बताया गया कि गांव की एक महिला बकरी चराने के लिए गर्ई हुई थी जहां कुए के पास दुर्गंध आने पर महिला के द्वारा कुए मे झाककर देखा जहां पानी में तैरते हुए नवजात को देखा गया।

 

आखिर कौन करता है प्रसव:-
सवाल उठता है कि इस तरह के मामलों मे प्रसव कौन करता है?अधिकांश मामलों मे लावारिस बच्चों के माता-पिता की जानकारी नहीं लग पाती, लेकिन यह स्वास्थ्य अमले से पूछताछ कर पता लगाया जा सकता है।देखते है इस मामले मे क्या नवजात शिशुओं को इस तरह मरने के लिए छोड़ देने वाले माता-पिता मिलते है या नहीं।

 

क्यों नहीं कांपे हाथ…
मासूम से चेहरे वाले इन नवजातों को कुंए मे फेकते,टॉयलेट रूम मे फेकने वालो के हाथ क्यों नहीं कांपे।जिसने भी मौके पर नवजातों को देखा उसके मन मे यह ही भाव आए।सीमेंट और इंटो से बने इस टॉयलेट व कुएं मे नवजातों को फेंककर चले गए।बकरी चराने गई महिला को कुएं की दुर्गंध से पता चला।

 

डिलीवरी कराने वाली महिलाओं पर संदेह :-
नवजात शिशुओं को फेकने के बाद से लेकर तरह-तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं।इसके तहत इसे प्रेम-प्रसंग मे युवतियों के गर्भवती होने व लोक लाज के भय के चलते नवजातो को फेकना बताया जा रहा है।इसके साथ ही यह भी आशंका जताई जा रही हैं कि कहीं नवजातो की कोई नाबालिग मां तो नहीं है।जिसके मामले को दबाने ऐसा किया गया है।इस तरह के कार्य से जुड़ी महिलाओं पर आशंका जताई जा रही हैं।

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