हालात दिख रहे क्या फिर होगा पाकिस्तान का बंटबारा……
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के बलोचिस्तान में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन देखा जा रहा है। बलोच कार्यकर्ता महरंग बलोच ने ग्वादर में प्रदर्शन पर बैठ गई हैं। पाकिस्तानी अधिकारी उन्हें हटाने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। बलूचों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार बंदूकों के जरिए उन्हें डराना चाहती है, लेकिन वह ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। बलूचों का आरोप है कि पाकिस्तान और चीन मिलकर बलोचिस्तान के संसाधनों पर कब्जा कर रहे हैं।
वहीं कई एक्सपर्ट्स का मानना हैं कि ये प्रदर्शन उसी तरह हैं, जिसने पूर्वी पाकिस्तान को तोड़कर बांग्लादेश बना दिया था। जानकार ने कहा कि यहा प्रदर्शन हमेशा होते रहे हैं, जो लीडरशिप को बदलते रहे हैं। आज के समय कई प्रदर्शन महिलाएं लीड कर रही हैं और ऐसा ही कुछ हमें बलोचिस्तान में देखने को मिलता है। उन्होंने कहा, बलोचिस्तान की पॉलिटिस में बहुत कुछ बदल रहा है। महिलाओं और युवाओं को आगे किया जा रहा है, जो कि सॉफ्ट बेस हैं।
और ज्यादा न्यूज़ देखने के लिए निचे दिए हुए लिंक को क्लिक करें।
30 जुलाई मंत्रालय में वंदे मातरम के गान के साथ आयोजित की गई मंत्रिपरिषद की बैठक
बलोचिस्तान की कई छात्राएं मारी गई, अरेस्ट हुईं और प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जो कुछ नया नहीं है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में कोई भी प्रदर्शनकारी सरकार की बातचीत पर भरोसा नहीं करता। उन्हें पता हैं कि पाकिस्तान सरकार की ओर से लिखित में भी शर्तें मान ली जाती हैं। लेकिन बाद में वे पलट जाते हैं। उन्होंने कहा, बलोचिस्तान के प्रदर्शन में अगर उनकी मांगें देखी जाएं तब वह कुछ भी ऐसा नहीं है, जिसे न माना जाए। वे अपने हक की बात कर रहे हैं।
लेकिन पाकिस्तान में लोग खुद मान रहे हैं, जैसे बलूचों ने खुद को अलग करने की मांग कर ली है। जानकार कहते हैं कि हमारे लोकतंत्र में बलोचिस्तान है। लेकिन उन्हें यह हक नहीं दिया गया कि वह खुद का फैसला कर सके। हर किसी को पता है कि यह कठपुतली सरकार है। जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं उनमें से कई लोगों के परिवार वालों ने सरकार के खिलाफ बंदूक उठा रखी है। बांग्लादेश जैसा होगा हाल?
और ज्यादा न्यूज़ देखने के लिए निचे दिए हुए लिंक को क्लिक करें।
लगाया आरोप वित्त मंत्री ने टीएमसी सांसद पर महिलाओं के अपमान का
उन्होंने कहा, बलूचिस्तान को इतनी आजादी दी जाए कि वह खुद का फैसला ले सके तब कोई दिक्कत नहीं होगी। इसमें समस्या ये है कि सरकार को लगता है कि पाकिस्तान विरोधी लोग सदन में आएंगे और वे फैसले जो उन्हें पसंद नहीं आएंगे। यह बांग्लादेश वाली बात है। वह भी अपने हक और सरकार मान रहे थे। आपने पहले ही सोच कर रखा होता है कि आपको नहीं मानना, जिसके नुकसान बाद में देखने पड़ते हैं।