अजित पवार पर डाले जा रहे डोरे महाराष्ट्र की राजनीति के बदलेंगे तेवर
मुंबई। आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति बड़ी उथल-पुथल की संभावना बढ़ रही है। वजह ये है कि शरद पवार की एनसीपी के कुछ नेता अजित पवार को सीएम पद का लालच दे रहे हैं तो कुछ परिजन उन्हें अपने रिश्तों का हवाला दे डोरे डाल अपनी तरफ खींचने का प्रयास कर रहे हैं। उधर,भाजपा नहीं चाहती कि अजित कहीं और जाएं।
इस खींचतान के बीच आने वाले समय में सियासी उथल पुथल की संभवाना बढ़ती नजर आ रही है। इसी बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद) ने बड़ा दावा कर दिया है। पार्टी का कहना है कि अगर अजित पवार अलग होकर नहीं जाते, तो वह महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री बनते। खास बात है कि वरिष्ठ नेता शरद पवार के गुट की तरफ से बयान ऐसे समय पर आया है, जब अटकलें हैं कि शिवसेना (यूबीटी) चीफ उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद के लिए सहयोगियों को मना रहे हैं।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एनसीपी (शरद) नेता जयंत पाटिल ने अजित पवार पर तंज भी कसा है। उन्होंने कहा कि 1990 से अजित विधायक हैं, लेकिन उनके बाद आने वाले एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस आगे निकल गए। खबरें हैं कि महाविकास अघाड़ी (एमवीए) राज्य में कुनबा बढ़ाने की कोशिश में हैं और छोटे दलों को साथ लाने की भी तैयारी कर रहा है।पाटिल ने कहा, अगर वह (अजित पवार) पार्टी छोड़कर नहीं जाते, तो वह मुख्यमंत्री बन जाते। एमवीए के लिए अभी हालात अच्छे हैं।
अगला सीएम सिर्फ महाविकास अघाड़ी से होगा। नेताओं की शरद पवार गुट में वापसी को लेकर उन्होंने कहा, वो हमारे संपर्क में हैं, लेकिन मैं इस भरोसे में नहीं रहना चाहता कि वो वापस आ रहे हैं। उनके सिर पर जांच एजेंसियों की तलवार लटक रही है। उनमें से कुछ लोग जहां हैं वहीं खुश हैं। मुझे नहीं लगता कि वो आ रहे हैं। साल 1991 में अजित पवार ने पहली बार बारामती से चुनाव जीतकर विधानसभा का रुख किया था। बारामती को पवार परिवार का गढ़ माना जाता है। इसके बाद वह सांसद भी बनें।
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खास बात है कि फडणवीस ने पहला विधानसभा चुनाव 1999 में और शिंदे ने साल 2004 में जीता था। इसके बाद दोनों मुख्यमंत्री भी बन चुके हैं। फडणवीस ने 31 अक्टूबर 2014 को सीएम पद की शपथ ली थी। जबकि, शिंदे 30 जून 2022 को सीएम बने।वहीं खबर है कि हाल ही में उद्धव दिल्ली पहुंचे थे।
उस दौरान उनके साथ पत्नी और बेटा आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे। उन्होंने कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी। कहा जा रहा है कि इस दौरे का मकसद खुद को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने के लिए साथियों को मनाना था।