जिला अस्पताल का मामला:स्वास्थ्य शिविर में चले गए चिकित्सक,भटकते रहे मरीज।
जिला अस्पताल का मामला:
स्वास्थ्य शिविर में चले गए चिकित्सक,भटकते रहे मरीज
विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के बीच स्वास्थ्य शिविर में चले जाने से मरीजों को हो रही परेशानी
सीधी:- बाइक से दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण हाथ व पैर में फैक्चर समझ में आ रहा है, 50 किमी दूर से जिला अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाने आया था, लेकिन पता चला कि वह स्वास्थ शिविर में सिहावल चले गए हैं। अब किसे दिखाऊं हड्डी रोग का और कोई दूसरा डॉक्टर भी नहीं है। यहां बताया जा रहा है, कि हड्डी वाले डॉक्टर शाम तक में लौटेंगे, लगता है आज वापस जाना पड़ेगा। मझौली विकासखंड के सरैहा से जिला अस्पताल उपचार के लिए आए राजकुमार बैगा ने अपनी व्यथा बताई। इसी तरह नाक, कान गला रोग के लिए विशेषज्ञ को दिखाने के लिए भी कई मरीज भटकते नजर आए, इनकी भी ड्यूटी सिहावल शिविर में लगाई गई थी।
जिला अस्पताल में चिकित्सका विशेषज्ञों की कमी के कारण आए दिन इस तरह की समस्या होती है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार जिले में एडिप योजना के अंतर्गत भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम जबलपुर के द्वारा सोमवार 23 को दिव्यांगजनों को नि:शुल्क कृत्रिम अंग सहायक उपकरण प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया था। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी द्वारा शिविर में मेडिकल विकलांगता/यूआईडी कार्ड जारी करने एवं पूर्व में बने दिव्यांगता प्रमाण पत्र के वैधता सहित परीक्षण के लिए जिला मेडिकल बोर्ड की ड्यूटी लगाई गई थी। टीम में जिला अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.प्रियंका मंडराह, मेडिसिन रोग विशेषज्ञ डॉ.अविनाश जॉन धार्वे, अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ.अरविंद सोनी, नाक कान गला रोग विशेषज्ञ डॉ.हिमेश पाठक शामिल हैं।
जिला अस्पताल में अस्थि रोग विशेषज्ञ एवं नाक कान गला रोग विशेषज्ञ के साथ ही मेडिसिन रोग के एक-एक ही विशेषज्ञ पदस्थ हैं, उनके स्वास्थ शिविर में चले जाने से जिला अस्पताल में इन चिकित्सा विशेषज्ञों को दिखाने आने वाले मरीजों को भटकना पड़ा।
अभी बनी रहेगी परेशानी-
एडिप योजना के अंतर्गत भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम जबलपुर के द्वारा दिव्यांगजनों को नि:शुल्क कृत्रिम अंग सहायक उपकरण प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन प्रत्येक विकासखंडों में किया जाना है, यह शिविर 27 सितंबर तक चलेंगे। जहां जिला मेडिकल बोर्ड की ड्यूटी लगाई गई है। यानि आगामी दिनों में भी जिला अस्पताल में चिकित्सा रोग विशेषज्ञों की कमी बनी रहेगी। ऐसे में जिले भर से जिला अस्पताल में उपचार सुविधा के लिए आने वाले मरीजों को चिकित्सा विशेषज्ञों की कमी के कारण परेशान होना पड़ेगा।
वैकल्पिक व्यवस्था का नहीं इंतजाम-
जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीण अंचलों व विकासखंड मुख्यालय स्तर पर अक्सर स्वास्थ शिविरों का आयोजन किया जाता रहता है। जहां जिला अस्पताल के चिकित्सा विशेषज्ञों की ड्यूटी लगा दी जाती है। जिला अस्पताल में चिकित्सा विशेषज्ञों के ज्यादातर पदों में एक-एक की पदस्थापना होने से उनके स्वास्थ शिविर में चले जाने से जिले के दूर दराज क्षेत्र से जो मरीज उपचार के लिए जिला अस्पताल पहुंचते हैं, उन्हें परेशान होना पड़ता है। लेकिन स्वास्थ महकमें द्वारा शिविरों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बनाई जा रही है।
मरीजों ने सुनाया दर्द-
राजकुमार बैगा, सरैहा ने बताया कि बाइक से गिर गया था, हाथ और पैर में फैक्चर लग रहा है। अस्थि रोग विशेषज्ञ को दिखाने आया था, लेकिन यहां कोई अस्थि रोग विशेषज्ञ नहीं मिला। बता रहे हैं अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ.अरविंद सोनी स्वास्थ शिविर में सिहावल चले गए हैं।
हरिनाथ जायसवाल, बटौली ने बताया कि नाक कान गला रोग विशेषज्ञ को दिखाने आया था, लेकिन यहां रोग विशेषज्ञ आज नहीं मिले। बता रहे हैं कि सिहावल स्वास्थ शिविर में चले गए हैं। अब दुबारा दिखाने आना पड़ेगा, क्योंकि नाक कान गला के दूसरे कोई डॉक्टर नहीं हैं।
इनका कहना है:-
सीएमएचओ के पत्र के आधार पर शिविर में मेडिकल बोर्ड की ड्यूटी लगाई गई है। मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों को तो जाना ही पड़ेगा, वह भी शासकीय कार्यक्रम ही है। चिकित्सा विशेषज्ञों की कमी तो है ही, जब तक पद रिक्त रहेंगे यह समस्या बनी रहेगी।
डॉ.दीपारानी इसरानी,
सिविल सर्जन जिला अस्पताल सीधी